Perfect Days / Komorebi

Komorebi‘ – एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ है – ‘पत्तियों के बीच से झाँकती हुई सूर्य-किरणें’ किन्तु यह शब्द बस इतने पर ही न सिमटकर एक व्यापक अर्थ का द्योतक है। जैसे पत्तियों के बीच से झाँकती वह एक किरण अपने आप में कितनी छोटी और मामूली-सी लगने वाली वस्तु है किन्तु फुर्सत से बैठकर देखने पर वो एक क्षण सागर जैसा गंभीर और विशाल है। देखो! कैसे एक छोटा-सा पत्ता सीना तानकर सूरज के सामने खड़ा हो जाता है और फिर किरण की गर्माहट से पिघलकर उसको गले लगा लेता है! यह आश्चर्य नहीं तो और क्या है?

कहने का आशय यह है कि हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी ऐसे ही छोटे-छोटे (बड़े) आश्चर्यों से भरी पड़ी हुई है लेकिन हमने उनको उपेक्षित कर दिया है। आपके ऑफिस के गेट पर बैठने वाला वो एक सिक्यूरिटी गार्ड जो रोज़ आपको देखकर मुस्कुरा देता है, पार्क में आपकी अपनी एक जगह जहाँ बैठकर आप घर लौटते हुए पक्षियों को देखते हो, वो एक जूस की दुकान वाले भैया जिन्हें आपको बताना नहीं पड़ता कि कौनसा जूस चाहिए, वो एक जगह जहाँ से आप रोज़ सब्जी लेते हैं…यह सब छोटे-छोटे आश्चर्य ही तो घुल-मिलकर हमारा रोज़मर्रा बनाते हैं और क्या खूब बनाते हैं!

Perfect Days – इसी खूबसूरत भाव पर बुनी हुई एक फिल्म है। हिरायामा, टोक्यो में रहने वाले एक टॉयलेट क्लीनर हैं जो अपनी आमदनी के लिए लोगों की गंदगी साफ़ किया करते हैं। लगभग 60 साल की तरफ़ बढ़ती हुई उनकी उम्र, जो उनके बालों और चेहरे पर भी झलक पड़ी है। हिरायामा के हाँथ गंदे हो सकते हैं किन्तु उनका अंतर्मन अत्यंत शुद्ध और पवित्र है जो उस कार्य में भी ख़ुशी ढूँढ लेता है। सुबह उठते ही हिरायामा अपने घर के बाहर लगे पेड़ को मुस्कुराकर देखते हैं, पुरानी कैसेट्स से गाने सुनते हुए काम पर जाते हैं, हँसकर लोगों का अभिवादन करते हैं और पार्क में बैठकर अपना खाना खा लेते हैं। कई बार रूखे लोग आते हैं और रूखा बर्ताव भी करते हैं किन्तु उनकी कड़वाहट हिरायामा के मधुर स्वभाव को नहीं छू पाती। हिरायामा अपने साथ एक छोटा कैमरा भी रखते हैं जिससे वो उन छोटी-छोटी चीज़ों की तस्वीरें लिया करते हैं जो उनके दिन को बड़ा बना देती है। घर लौटकर वो अपनी किताबें पढ़ा करते हैं और सो जाते हैं। हर एक दिन को वो उपहार की तरह जीते हैं और किसी से कोई शिकायत नहीं करते।

यह फिल्म इतना सादगी और ईमानदारी से बनायी हुई है कि इसको देखते हुए आपको अपने दिन के उन सभी पलों का स्मरण हो आएगा जिनको आप उपेक्षित कर आये। हमने ध्यान ही नहीं दिया कि आज का मौसम कितना सुहावना था या कॉफी का स्वाद कितना लाजवाब था! इस फिल्म को देखकर आपको समझ आएगा कि प्रतिदिन एक जैसा लगने पर भी एक जैसा नहीं होता क्योंकि हर दिन में कोई न कोई एक ऐसा छोटा-बड़ा आश्चर्य अवश्य होता है जो उसे बाकी दिनों से भिन्न बनाता है।

इस फिल्म में बहुत ही कम संवाद है क्योंकि इस फिल्म ने बोला बहुत कम और दिखाया बहुत ज्यादा। Kōji Yakusho – जिन्होंने हिरियामा का क़िरदार निभाया है वो पूरी तरह उसमें डूबे हुए लगे। उनकी एक मुस्कराहट, कई पन्नों से अधिक बात करती है। निश्चित तौर पर यह फिल्म मेरी मनपसंद फिल्मों में शुमार होने वाली है। उसका कारण स्पष्ट है कि यह बहुत सादे जीवन को एक बहुत ऊँचे दर्जे पर रखकर प्रदर्शित करती है जो अमूमन लोगों को स्वीकृत नहीं होता। हो सकता है कि आप इस फिल्म को देखना प्रारंभ करें और 15 मिनट के बाद ही बोर होकर बंद कर दें किन्तु उसमें इस फिल्म का कोई दोष नहीं होगा। दोष शायद, आपका भी नहीं होगा। दोष होगा तेज़ी से भागती ज़िन्दगी का, फुर्ती से बीतते समय का और लगातार घटते attention-span का। हमसे अब ठहराव या ठहराव को दिखाती हुई चीज़ें बर्दाश्त ही कहाँ होती हैं?

खैर, इस फिल्म को देखने के बाद मुझे तो निजी रूप से काफ़ी संतुष्टि मिली है। उम्मीद है कि आप सभी को भी यह उतनी ही ओज और सादगी के साथ प्राप्त हो!

२२.०६.२०२४

Still from the movie.

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